Meri Naway Shauq Se | मेरी नवाए शौक़ से
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Bal-e-Jibreel
ग़लग़ला हाए अल-अमाँ बुतकदा-ए-सिफ़ात में !
हूर-ओ-फ़रिश्ता हैं असीर मेरे तख़्य्युलात में
मेरी निगाह से ख़लल तेरी तजल्लियात में !
गर चे है मेरी जुस्तजू दैर-ओ-हरम की नक़्शबंद
मेरी फ़ुग़ाँ से रुस्तखेज़ काबा-ओ-सोमनात में !
गाह मेरी निगाह-ए-तेज़ चीर गयी दिल-ए-वजूद
गाह उलझ के रह गयी मेरी तोहमात में !
तूने ये क्या ग़ज़ब किया ! मुझको भी फ़ाश कर दिया
मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-कायनात में !