Swami Ramteerth | स्वामी रामतीर्थ
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हम-बग़ल दरिया से है ऐ क़तरा-ए-बेताब तू
पहले गौहर था, अब बना गौहर-ए-नायाब तू
आह! खोला किस अदा से तूने राज़-ए-रंगो बू
मैं अभी तक हूँ असीर-ए-इम्तियाज़-ए-रंगो बू
मिट के ग़ोग़ा ज़िन्दगी का शोरिश-ए-महशर बना
यह शरारा बुझ के आतिशख़ाना-ए-आज़र बना
नफ़ी-ए-हस्ती इक करिश्मा है दिल-ए-आगाह का
"ला" के दरिया में निहाँ मोती है "इल्लल्लाह" का
चश्म-ए-नाबीना से मख्फी मानी-ए-अंजाम है
थम गयी जिस दम तड़प, सीमाब सीम-ए-ख़ाम है
तोड़ देता है बुत-ए-हस्ती को इब्राहीम-ए-इश्क़
होश का दारू है गोया मस्ती-ए-तसनीम-ए-इश्क़
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पहले गौहर था, अब बना गौहर-ए-नायाब तू
आह! खोला किस अदा से तूने राज़-ए-रंगो बू
मैं अभी तक हूँ असीर-ए-इम्तियाज़-ए-रंगो बू
मिट के ग़ोग़ा ज़िन्दगी का शोरिश-ए-महशर बना
यह शरारा बुझ के आतिशख़ाना-ए-आज़र बना
नफ़ी-ए-हस्ती इक करिश्मा है दिल-ए-आगाह का
"ला" के दरिया में निहाँ मोती है "इल्लल्लाह" का
चश्म-ए-नाबीना से मख्फी मानी-ए-अंजाम है
थम गयी जिस दम तड़प, सीमाब सीम-ए-ख़ाम है
तोड़ देता है बुत-ए-हस्ती को इब्राहीम-ए-इश्क़
होश का दारू है गोया मस्ती-ए-तसनीम-ए-इश्क़
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